Wednesday, July 13, 2011

लालीवाव मठ में श्रीमद्भागवत सप्ताह पूर्णाहुति गुरुवार शाम

तुलसी विवाह के प्रसंगों ने बिखेरी मंगल लहरियां
बांसवाड़ा, 13 जुलाई/गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में यहां लालीवाव मठ में चल रही श्रीमद्भागवत कथा की पूर्णाहुति 14 जुलाई गुरुवार शाम छह बजे होगी।


इससे पूर्व दोपहर एक से पांच बजे तक लालीवाव पीठाधीश्वर महंत हरिओमशरणदास महाराज द्वारा कथा की जाएगी। इसके उपरान्त पार्थिव शिवलिंगों का पूजन एवं आरती होगी। इन सारे अनुष्ठानों के बाद शाम छह बजे श्रीमद्भागवत पूर्णाहुति यज्ञ होगा।


बुधवार को भागवत कथा में तुलसी विवाह और रुक्मणी विवाह के मनोहारी प्रसंगों ने आनंद रसों का ज्वार उमड़ा दिया। बड़ी संख्या में मौजूद भक्तों ने भजन-कीर्तनों पर झूम-झूमकर नृत्य का आनंद लिया।
श्रद्धालु महिलाओं ने विवाह गीत और मंगल गीत गाकर विवाह रस्मों का दिग्दर्शन कराते हुए मंत्र मुग्ध कर दिया।दुल्हे के रूप में भगवान श्रीकृष्ण की सजी-धजी बारात श्री पद्मनाथ मन्दिर से निकली और भागवत कथा स्थल पर विवाह मण्डप पहुंची जहां दुल्हन के रूप में तुलसी मैया के वधू पक्ष के लोगों ने अक्षतोें की बरसात कर वेवण-वैवाइयों और बारात का जमकर स्वागत सत्कार किया।
जाने-माने कर्मकाण्डी पं. इच्छाशंकर जोशी एवं पं. घनश्याम जोशी के आचार्यत्व में तुलसी विवाह विधि-विधान से पूरा हुआ। भगवान के बारातियों के रूप में लालीवाव की शिष्य परम्परा के प्रमुख भक्तों दीपक तेली, विमल भट्ट, लोकेन्द्र भट्ट, सत्यनारायण दोसी, शांतिलाल भावसार, सुन्दरलाल गहलोत, महेश राणा, सुखलाल तेली, प्रवीण गुप्ता आदि ने भगवान श्री कृष्ण को कांधे पर बिठाकर विवाह मण्डप लाए। तुलसी मैया की ओर से आयोजक परिवार ने सभी का स्वागत किया।
भवई नृत्य ने मन मोहा
श्रीमद्भागवत कथा में बुधवार को भवई कलाकार सुरेशचन्द्र रतलाम वालों द्वारा प्रस्तुत भवई नृत्य आकर्षण का खास केन्द्र रहा। उन्होंने सर पर मटकियां रखकर कान्हा और गोपियों के गीत गाते हुए नृत्य पेश करते हुए मन मोह लिया। बाद में भारत माता मन्दिर के महंत श्री रामस्वरूप महाराज ने भवई कलाकार सुरेशचन्द्र का शॉल ओढ़ा कर सम्मान किया। लालीवाव भक्त मण्डल की ओर से समाजसेवी रमेश माली ने लालीवाव पीठाधीश्वर का साफा बांध कर अभिनंदन किया। कथा के आरंभ में मुख्य यजमान भौतिक शास्त्री अरुण साकोरीकर एवं श्रीमती आशा साकोरीकर, महेश राणा, रसायनविद गणेशचन्द्र मुकाती, गिरीशचन्द्र भावसार एवं सुन्दरलाल गेहलोत आदि ने व्यासपीठ तथा महतंश्री का स्वागत किया।
संचालन शिक्षाविद् शांतिलाल भावसार ने किया।
मिट्टी के शिवलिंगों का हुआ पूजन
इससे पूर्व भागवत कथा के छठे दिन बुधवार को दिन में चिंतामणि पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं पूजन का महानुष्ठान हुआ। इसमें पमा पहलवान, नवनीत पटेल आदि ने वैदिक ऋचाओं और शैव मंत्रों के साथ मृतिका शिवलिंगों का प्राचीन विधि-विधान से पूजन किया।

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