Wednesday, June 6, 2018

मानव जीवन का सच है मृत्यु- महामण्डलेश्वर हरिओमदास महाराज

पंचम दिवस श्रीराम कथा सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल उदाजी का गड़ा
सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल उदाजी का गड़ा में चल रही श्री राम कथा के पांचवे दिन आज महामण्डलेश्वर हरिओमदासजी महाराज ने श्रोताओं से कहा कि जिनको काम प्रिय है वो प्रभु की कथा को सुनने का अवसर नहीं पाते लेकिन जिनको राम प्रिय है वो सारे काम छोड़ कर भी प्रभु की कथा सुनने पहंचते हैं हमारे जीवन का सचन मृत्यु हैं जब हमे पता हैं कि हम खाली हाथ आये थे और खाली हाथ जायेंगे तब हमारा ये कर्तव्य बनता है कि हम अपने जीवन को धर्म के कार्यों में लगायें जिससे मरने के बाद जब हम ऊपर जाये तब प्रभु हमें पहचान सके आज जो भी हमारे पास है वो सब प्रभु की देन हैं लेकिन सारी सुख-सुविधाएं एक बुलबुले की तरह है लेकिन प्रभु भक्ति बिल्कुल अजर-अमर है जिसको तो कोई छीन सकता है और नहीं नष्ट कर सकता है
शबरी प्रसंग करते हुए उन्होंने बताया कि प्रभु श्री राम की अनन्त भक्त शबरी का जीवन समस्त मानव जाति को एक सफल जीवन जीने का संदेश देता है शबरी जो एक भील जाति की स्त्री थी उन्होंने समाज में प्रचलित धर्म कुरीतियों का विरोध करते हुए धर्म मार्ग का चयन कया इसी मार्ग के कारण प्रभु श्री राम समस्त सुखों एवं आनन्द के स्त्रोत स्वयं उसकी कुटिया तब आते है और उन्हें मुक्ति प्रदान करते है शबरी जिन्हें मतंग मुनि जैसे पूर्ण संत का सानिध्य प्राप्त होता है मतंग मुनि उन्हें ब्रह्मज्ञान प्रदान करते है जिसको प्राप्त करके शबरी को अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य का बोध होता है कि केवल प्रभु की प्राप्ति ही जीवन का परम लक्ष्य है
साधना के लिए नियम संयम जरुरी- श्री राम कथा में महामण्डलेश्वर हरिओमदासजी महाराज ने कहा कि बिना नैतितका, संयम के कोई साधना पूरी नही हो सकती है सत्यपुरुषों का सानिध्य बताता है कि कैसे जिएं स्वच्छंदता, निरंकुशता ठीक नहीं जिन्होंने परंपराओं और सिद्धांतों का आदर किया है वे ही सुरक्षित रहे है
आज श्री राम कथा में महाराजश्री ने श्रोताओं को राम वनवास, केवट प्रसंग, चित्रकुट लीला की कथा विस्तार से सुनाई इसके साथ ही सायं 5 बजे भगवानजी को भोग एवं उसके बाद व्यासपीठ की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरण किया गया





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