भागवत सुनने से ही कल्याण: पं. अनिलकृष्ण
लालीवाव मठ में महामंडलेश्वर हरिओमदासजी महाराज के सानिध्य में कथा शुरू
शहर के सूरजपोल के लालीवाव मठ में गुरुपूर्णिमा महोत्सव के उपलक्ष्य में महामंडलेश्वर हरिओमदासजी महाराज के सानिध्य में शुरू हुई 7 दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के प्रथम दिन कथावाचक पं. अनिलकृष्णजी महाराज ने कहा कि वेदों का सार युगों से मानव तक पहुंचता रहा है। 'भागवत महापुराण' यह उसी सनातन ज्ञान का सागर है, जो वेदों से बहकर चली रही है, जो हमारे जड़वत जीवन में चेतन्यता का संचार करती है और जो हमारे जीवन को सुंदर बनाती है, वो भागवत कथा है। यह एक ऐसी अमृत कथा है, जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है।
कथा को सुनने और जीवन में अपनाने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। आज मनुष्य उसी प्रभु को भूलकर इस संसार को अपना समझ बैठा है। चौरासी लाख योनियों में उत्थान दिलवाने वाली मानवरूपी जन्म ही कल्याणकारी है। जो हमें ईश्वर से मिलाती है। हमारे पूर्व जन्मों के करोड़ों पुण्य होने पर ही हम कथा काे सुनने का लाभ ले सकते हैं।इससे पूर्व मठ के प्रधान मंदिर भगवान पद्मनाभ से कथा पंडाल तक भागवत पौथीयात्रा निकाली गई। पौथी का पूजन इच्छाशंकरजी, पंडित समरत मेहता, पंडित घनश्याम द्वारा किया गया।
लालीवाव मठ में महामंडलेश्वर हरिओमदासजी महाराज के सानिध्य में कथा शुरू
शहर के सूरजपोल के लालीवाव मठ में गुरुपूर्णिमा महोत्सव के उपलक्ष्य में महामंडलेश्वर हरिओमदासजी महाराज के सानिध्य में शुरू हुई 7 दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के प्रथम दिन कथावाचक पं. अनिलकृष्णजी महाराज ने कहा कि वेदों का सार युगों से मानव तक पहुंचता रहा है। 'भागवत महापुराण' यह उसी सनातन ज्ञान का सागर है, जो वेदों से बहकर चली रही है, जो हमारे जड़वत जीवन में चेतन्यता का संचार करती है और जो हमारे जीवन को सुंदर बनाती है, वो भागवत कथा है। यह एक ऐसी अमृत कथा है, जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है।
कथा को सुनने और जीवन में अपनाने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। आज मनुष्य उसी प्रभु को भूलकर इस संसार को अपना समझ बैठा है। चौरासी लाख योनियों में उत्थान दिलवाने वाली मानवरूपी जन्म ही कल्याणकारी है। जो हमें ईश्वर से मिलाती है। हमारे पूर्व जन्मों के करोड़ों पुण्य होने पर ही हम कथा काे सुनने का लाभ ले सकते हैं।इससे पूर्व मठ के प्रधान मंदिर भगवान पद्मनाभ से कथा पंडाल तक भागवत पौथीयात्रा निकाली गई। पौथी का पूजन इच्छाशंकरजी, पंडित समरत मेहता, पंडित घनश्याम द्वारा किया गया।
आराध्य के चिंतन से मिलता है आनंद- हरिओमदासजी
महामंडलेश्वरहरिओमदासजी महाराज ने कहा कि मानव सांसारिक वस्तुओं में सुंदरता ढूंढता है। सुंदर और भोग प्रदान करने वाली वस्तुओं को एकत्रित कर प्रसन्न होता है। भगवतप्रेमी अपने आराध्य के स्वरूप चिंतन में ही आनंदमय होता है। भगवान सर्वत्र हैं, जिन्हें इन भौतिक आंखों से देखा नहीं जा सकता है। इसके लिए स्वच्छ हृदय और पवित्र मानसिक आंखें चाहिए। हम भगवान को सिर्फ मुसीबत में याद करते हैं।
महामंडलेश्वरहरिओमदासजी महाराज ने कहा कि मानव सांसारिक वस्तुओं में सुंदरता ढूंढता है। सुंदर और भोग प्रदान करने वाली वस्तुओं को एकत्रित कर प्रसन्न होता है। भगवतप्रेमी अपने आराध्य के स्वरूप चिंतन में ही आनंदमय होता है। भगवान सर्वत्र हैं, जिन्हें इन भौतिक आंखों से देखा नहीं जा सकता है। इसके लिए स्वच्छ हृदय और पवित्र मानसिक आंखें चाहिए। हम भगवान को सिर्फ मुसीबत में याद करते हैं।
मठ में पार्थिव शिव पूजा शुरू
लालीवावमठ में रविवार को मिट्टी के बने पार्थेश्वर शिवलिंगों से निर्मित सूर्ययंत्र और देव प्रतिमाओं एवं यंत्रों के पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रही। सुबह भगवान भोले का रुद्राभिषेक और लघुरुद्र किया गया। इसके पश्चात् भागवतजी और पार्थिव शिवजी की आरती सुभाष अग्रवाल, लोकेंद्र भट्ट, सुखलाल तेली, रमेश तेली, महेश राणा, अरविंद खेरावत, पुरुषोत्तम शर्मा, ईश्वरीदेवी द्वारा उतारी गई।
लालीवावमठ में रविवार को मिट्टी के बने पार्थेश्वर शिवलिंगों से निर्मित सूर्ययंत्र और देव प्रतिमाओं एवं यंत्रों के पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रही। सुबह भगवान भोले का रुद्राभिषेक और लघुरुद्र किया गया। इसके पश्चात् भागवतजी और पार्थिव शिवजी की आरती सुभाष अग्रवाल, लोकेंद्र भट्ट, सुखलाल तेली, रमेश तेली, महेश राणा, अरविंद खेरावत, पुरुषोत्तम शर्मा, ईश्वरीदेवी द्वारा उतारी गई।
No comments:
Post a Comment