Wednesday, July 20, 2016

Govardhan Parvat Krishna at Tapobhumi Laliwav math

लालीवाव मठ में चल रही भागवत कथा के तहत हजारों भक्त प्रतिदिन यहां आ रहे हैं । इसके तहत भगवान पद्मनाभ के गोवर्धन की श्रृंगारित प्रतिमा में बरसात और बिजली की आवाज ने भक्तों को काफी आकर्षित किया हर कोई देखकर भाव विभोर हो जाता है ।
Govardhan Parvat Krishna


Govardhan Darshan

गोवर्धन की झांकी ने मन मोहा

लालीवाव मठ में चल रही भागवत कथा के तहत हजारों भक्त प्रतिदिन यहां आ रहे हैं । इसके तहत भगवान पद्मनाभ के गोवर्धन की श्रृंगारित प्रतिमा में बरसात और बिजली की आवाज ने भक्तों को काफी आकर्षित किया हर कोई देखकर भाव विभोर हो जाता है ।

Tuesday, July 19, 2016

Gurupurnima Mahotsav 2016, लालीवाव मठ में गुरुपूर्णिमा महोत्सव धूमधाम से मना

लालीवाव मठ में गुरुपूर्णिमा महोत्सव धूमधाम से मना,
दिन भर लगा रहा भक्तों का तांता
बांसवाड़ा,, गुरु पूर्णिमा महोत्सव ऐतिहासिक लालीवाव मठ में मंगलवार को धूमधाम से मनाया गया। भोर में गुरु पादुका पूजन अनुष्ठान हुआ। इसमें लालीवाव पीठाधीश्वर महंत हरिओमशरणदास महाराज ने मठ के पूर्ववर्ती महंतों की छत्री, चरणपादुकाओं तथा मूर्तियों का पूजन किया और आशीर्वाद प्राप्त किया।
महंत नारायणदास महाराज की छतरी पर गुरु पादुकापूजन कार्यक्रम में लालीवाव की शिष्य परम्परा के बड़ी संख्या में अनुयायियों और भक्तों ने हिस्सा लिया और विविध उपचारों के साथ गुरु पूजन किया।
लालीवाव मठ में मंगलवार को दिन भर भारी भीड़ लगी रही। भक्तों ने लालीवाव के महंत हरिओमशरणदास महाराज को पुष्पहार पहनाकर पूजन किया तथा आशीर्वाद प्राप्त किया।
दिन में दीक्षा महोत्सव हुआ। इसमें बड़ी संख्या में नव दीक्षार्थियों ने दीक्षा विधान के साथ लालीवाव महंत से दीक्षा प्राप्त की और नवजीवन का संकल्प ग्रहण किया। तीन घण्टे चले इस दीक्षा महोत्सव में दीक्षार्थियों का तांता बंधा रहा। शिष्यों ने पीठाधीश्वर की आरती उतारी और आशीर्वाद प्राप्त किया।
दिन भर लालीवाव धाम पर भजन-कीर्तनों की धूम बनी रही। लालीवाव धाम के प्रधान मन्दिर पद्मनाथ में भगवान के श्रीविग्रहों का मनोहारी श्रृंगार किया गया। इनमें भगवान पद्मनाभ के गोवर्धननाथ स्वरूप दृश्यों की झांकी को देखने श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहा।
सायंकाल भजन किर्तन, महाआरती एवं भण्डारे के साथ आठ दिवसीय महामहोत्सव का समापन हुआ ।
राष्ट्रधर्म सर्वोपरि
इस मौके पर शिष्यों को अपने वार्षिक प्रवचन में लालीवाव पीठाधीश्वर महंत हरिओमशरणदास ने कहा कि राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर कार्य करें। समाज-जीवन के जिस किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हों वहां देशभक्ति और देश के विकास की भावना को सामने रखकर दिव्य जीवन व्यवहार के साथ कार्य करें और ईश्वर द्वारा प्रदत्त क्षमताओं का भरपूर उपयोग मानवता के हित में और मनुष्य जीवन के चरम लक्ष्य की प्राप्ति में करें ।
महाभारत, ब्रह्मसूत्र, श्रीमद् भागवत आदि के रचयिता महापुरुश वेदव्यासजी के ज्ञान का मनुष्यमात्र लाभ ले, इसलिए गुरुपूजन को देवताओं ने वरदानों से सुसज्जित कर दिया कि ‘जो सत्शिष्य सद्गुरु के द्वार जायेगा, उनके उपदेशों के अनुसार चलेगा उसे 12 महीनों के व्रत-उपवास करने का फल इस पूनम के व्रत-उपवास मात्र से हो जायेगा ।’
ब्रह्मवेताओं के हम ऋणी हैं, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए तथा उनकी शिक्षाओं का स्मरण करे उन पर चलने की प्रतिज्ञा करने के लिए हम इस पवित्र पर्व ‘गुरुपूर्णिमा’ को मनाते है ।
गुरुपूर्णिमा को हर शिष्य को अपने गुरुदेव के दर्शन करना चाहिए । प्रत्यक्ष दर्शन न कर पाये ंतो गुरुआश्रम में जाकर जप-ध्यान, सत्संग, सेवा का लाभ अवश्य लेना चाहिए । इस दिन मन-ही-मन अपने दिव्य भावों के अनुसार सद्गुरुदेव का मानस पूजन विशेष फलदायी है ।
महंत हरिओमदासजी ने कहा कि महाभारत, ब्रह्मसूत्र, श्रीमद् भागवत आदि के रचयिता महापुरुश वेदव्यासजी के ज्ञान का मनुष्यमात्र लाभ ले, इसलिए गुरुपूजन को देवताओं ने वरदानों से सुसज्जित कर दिया कि ‘जो सत्शिष्य सद्गुरु के द्वार जायेगा, उनके उपदेशों के अनुसार चलेगा उसे 12 महीनों के व्रत-उपवास करने का फल इस पूनम के व्रत-उपवास मात्र से हो जायेगा । ब्रह्मवेताओं के हम ऋणी हैं, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए तथा उनकी शिक्षाओं का स्मरण करे उन पर चलने की प्रतिज्ञा करने के लिए हम इस पवित्र पर्व ‘गुरुपूर्णिमा’ को मनाते है । गुरुपूर्णिमा को हर शिष्य को अपने गुरुदेव के दर्शन करना चाहिए । प्रत्यक्ष दर्षन न कर पाये ंतो गुरुआश्रम में जाकर जप-ध्यान, सत्संग, सेवा का लाभ अवश्य लेना चाहिए । इस दिन मन-ही-मन अपने दिव्य भावों के अनुसार सद्गुरुदेव का मानस पूजन विशेष फलदायी है ।




लालीवाव मठ में यज्ञ पूर्णाहुति से सम्पन्न भागवत कथा सप्ताह https://www.facebook.com/LaliwavMath/

लालीवाव मठ में यज्ञ पूर्णाहुति से सम्पन्न भागवत कथा सप्ताह
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Saturday, July 16, 2016

भागवत से परिवार और समाज का कल्याण संभव - महंत हरिओमदास
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Friday, July 15, 2016

नंद के आनंद भयो....
लालीवाव में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में झूमे श्रद्धालु
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Thursday, July 14, 2016

शास्त्रों को प्रमाण की जरुरत नहीं होती: महंत हरिओमदास


Wednesday, July 13, 2016

सत्य ही धारण करने योग्य: महंत हरिओमदास- द्वितीय दिवस भागवत कथा

सत्य ही धारण करने योग्य: महंत हरिओमदास
द्वितीय दिवस भागवत कथा
श्रीमद् भागवत स्वयं से मिलने का अवसर प्रदान करती है । इसमें अंतहीन घटनाएं पिरोई हुई हैं । ये प्रवचन बाँसवाड़ा के ऐतिहासिक लालीवाव मठ में जारी श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज ने दिए । उन्होंने घटनात्मक, स्तुति प्रधान, गीत प्रधान और उपदेशात्मक ग्रंथ बताते हुए कहा कि भागवत कथा चैतन्य एवं एकाग्रता से सुननी चाहिए ।
सत्य को धारण करने योग्य बताते हुए उन्होंने कहा कि जगत की हर वस्तु में पल-पल परिवर्तन होता है । विभिन्न प्रसंगों का जिक्र करते हुए सत्य की साधना का आह्वान किया । कथावाचक महंत न कहा कि व्यक्ति का अपने आस-पास बिना किसी को कहे और बताए सीमा रेखा खींचनी चाहिए ।
यह है कंजूस युग
कथावाचक ने कहा कि यह कंजूस युग है । इसमें ऐसा धन नहीं आए जो मतभेद और मनभेद कर दें । अपनों को अलग कर दे ।
मांस खाने से नहीं मिल पाती भगवान की कृपा
भजन करना है तो भोजन करना सीखना जरुरी है, क्योंकि भोजन का सीधा फर्क मनुष्य की सोच पर पड़ता है । लोग जैसा भोजन करते हैं उनकी सोच वैसी ही  हो जाती है, अगर कोई दूषित भोजन करता है तो उसके मन में धार्मिक ख्याल आना काफी मुश्किल होता है । मांस खाने से भगवान की कृपा से वंचित हो जाते हैं । यह बात श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक महामण्डलेश्वर हरिओमदास महाराज ने कही । भजन तभी होता है जब भोजन ठीक होता है । लोग धीरे-धीेरे सादे भोजन के महत्व को भूलते जा रहे हैं, वे फास्ट फूड और पश्चिमी जीवन शैली को ही अपने जीवन में उतार चुके हैं । ऐसी स्थिति में वे न चाह कर भी भगवान से दूर होते जा रहे हैं । साधना करने से भगवान की कृपा होना जरुरी होता है और जब हम जीवन हत्या करके उनका मांस खाते हैं तो हमारा मन तो दूषित होता ही है । साथ ही भगवान की कृपा भी नहीं मिल पाती ।
कथा के आरंभ में श्री मांगीलालजी धाकड़, महेश राणा, राजूजी, श्री मुन्नाजी नेमा, लोकेन्द्रजी भट्ट, श्रीमती कैलाश कुंवर, श्रीमती लक्ष्मी कंवर, नरेशजी सोनी आदि भक्तों ने भागवत की पूजा की तथा व्यासपीठ का स्वागत, आरती व पार्थिव शिव पूजन किया गया ।
धन कमाने से मिलता है केवल वैभव पर शांति नहीं ।
महत्व ईश्वर तक पहुचने का मार्ग है धम्र का पालन अर्थात धर्म के अने रुप होते है जैस भुखे को भोजन करवाना, निर्धन पर दया रखना, देश सेवा करना, ईश्वर की आराधना करना आदि श्री महाराज आगे कहते है कि धन कमाने से वैभव तो मिल सकता है लेकिन शांति नहीं मिलती आदमी कितना भी धन क्यों न कमा ले लेकिन उसे पूर्ण शांति नहीं मिलती, शांति पाने के लिये मानव को ईश्वर की शरण मे जाना ही पड़ता है वही ऐसा स्थान है जहां व्यक्ति की सभी आवश्यकताएं पूरी हो जाती है कुछ शेष नहीं रह जाता है ।


Tuesday, July 12, 2016

तपोभूमि लालीवाव मठ में भागवत कथा शुरु...

शोक, मोह और भय से मुक्त करती है भागवत कथा: महंत हरिओमदास




Saturday, July 9, 2016

आमंत्रण

आत्मीय आलोक से
आनन्दित होत हुए
अभिन्न-अक्षय
आमंत्रण



Gurupurnima Mahotsav 2016 भावभरा-आमंत्रण

भावभरा-आमंत्रण
चलो तपोभूमि लालीवाव मठ, भगवान पद्मनाभ ने बुलाया है....
श्रीमद् भागवत कथा एवं गुरुपूर्णिमा महामहोत्सव-2016