Thursday, July 10, 2014

Bhagwat Katha

कृष्ण-रुकमणी विवाह के प्रसंगों ने बिखेरी मंगल लहरिया...





Wednesday, July 9, 2014

Bhagwat Katha

लालीवाव मठ में गौवर्द्धन लीला व रास लीला पर झूमे श्रद्धालु


Tuesday, July 8, 2014

Bhagwat Katha

मैं का भाव रखने वाले अंत में पछताते हैं :            महंत हरिओमदास

लालीवाव मठ में भागवत कथा के चौथे दिन मनाया कृष्ण जन्मोत्सव 



 भागवत कथा चौथे दिन कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। कृष्ण के जन्म पर पूरा पांडाल नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारों से गूंज उठाया। व्यासपीठ से जब कथाकार ने कृष्णलीलाओं का बखान किया तो मौजूद श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। सभी ने जमकर कृष्ण के भजन कीर्तन का लुत्फ उठाया। महिलाओं ने मंगल गीतों के साथ भगवान के अवतरण पर प्रसन्नता व्यक्त की। महंतश्री ने श्रीकृष्ण जन्म परिचय देते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को जगत का गुरु तथा भगवान श्रीशिव को जगत का नाथ कहा गया है। इनके आराधन-भजन से वह सब कुछ प्राप्त हो सकता है जो एक मनुष्य पाना चाहता है। प्रभु की प्राप्ति किसी भी अवस्था में हो सकती है। इसके लिए जात-पात, नर-नारी, उम्र आदि का कोई भेद नहीं है। कथा का उद्देश्य हमेशा प्रभु को प्राप्त करना होता है। कथा के बाद अभिरामदास, मांगीलाल धाकड़ आदि ने रुद्राभिषेक पूजन, भागवत का पूजन किया और आरती उतारी। व्यासपीठ पर विराजित महंतश्री का भक्तों ने पुष्पों से स्वागत किया।
कान्हा की लीलाओं ने किया भाव विभोर
भक्त की परिभाषा बताई
भक्तउसे कहते है, जिसे भय नहीं होता मनुष्य तभी डरता है, जब उसकी ईश्वर से दूरी होती है जब मनुष्य भगवान से प्रीत लगा लेता है, तो उसे सारे सुखों का स्त्रोत प्राप्त हो जाता है भगवान फूल की माला सजाने से नहीं बल्कि विश्वास से मिलते है जहां आस्था है, वहीं रास्ता है ज्ञान का अर्थ जानना तथा भक्ति का अर्थ मानना है भक्ति स्वतंत्र होती है जिस व्यक्ति ने अपने मन के विकारों को शुद्ध कर लिया, वह भक्ति प्राप्त कर लेता है भक्ति ईश्वर का दूसरा नाम है
भागवत कथा कार्यक्रम के दौरान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का नजारा।
भास्कर न्यूज। बांसवाड़ा
पहलेलोग कर्म करते थे तो उसे भगवान की कृपा मानते थे, लेकिन आज जब कोई कार्य होता है तो उसमें मैं जाता है इसी मैं के चलते भगवान भी उसकी मदद नहीं करते हैं। जिससे अंत में से पछताना पड़ता है यह बात महंत श्रीहरिओमदासजी महाराज ने लालीवाव मठ में आयोजित भागवत कथा के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। महंतश्री ने कहा कि जो लोग भक्ति करते हैं उन्हें लोभ, मोह, राग का कोई असर नहीं होता है ईश्वर से प्रेम करने वाले हमेशा परेशान रहते हैं जो लोग भगवान का भजन करते हुए संसार का कार्य करते हैं उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है

Monday, July 7, 2014

Bhagwat Katha

मनुष्य में जन्म से ही देवी बनने की प्रतिभा - महंत हरिओमदास



भारतीय संस्कृति सर्वोत्तम - महंत हरिओमदास महाराज

भारतीय संस्कृति सर्वोत्तम - महंत हरिओमदास महाराज


Sunday, July 6, 2014

"भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी है भागवत कथा'

"भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी है भागवत कथा' -महंत हरिओम दास महाराज